“महेश नवमी” उमंग, उल्लास एवं चिन्तन पर्व 

“महेश नवमी” उमंग, उल्लास एवं चिन्तन पर्व 

  भारत के रीति-रिवाज, आचार-विचार, रहन-सहन, खान-पान एवं तीज-त्यौहार भारतीय सांस्कृतिक गौरव की सर्वोच्चता के संरक्षक एवं संवाहक माने जा सकते है क्योकि भारतीय संस्कृति आध्यात्म एवं धर्म के व्यापक दृष्टिकोण से सुप्रभावित है | फलस्वरूप जीवन के प्रत्येक कार्य-व्यवहार में इनकी प्रासंगिकता स्वाभाविक है | यधपि तथाकथित भूमंडलीकरणवाद से प्रभावित पश्चिमी भोगवादी संस्कृति ने भारतीय संस्कृति को बहुत गहराई तक आहत किया है तथापि हमारे पर्व और त्यौहारों ने सांस्कृतिक सर्वोच्चता को बनाये रखने में अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और निभा रहे है |
वास्तव में त्यौहार किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के मुखर अंग, स्वरूप एवं प्रतीक हुआ करते है | इनके द्वारा राष्ट्र की ऊर्जस्विता और जीवन्तता को जाना जाता है | पर्व और त्यौहारों के माध्यम से ही कोई जाति समूह अथवा राष्ट्र अपने सामूहिक आनंदभाव को ण केवल उजागर करता है, वरन त्यौहारों से जुड़े शुभ संकल्पों एवं शाश्वत व्यवहारों को दृढ़ता और सर्वग्राह्यकता प्रदान करती है | इनके साथ – साथ त्यौहारों का सम्बन्ध-मनाने वालों की परम्परागत चेतना, जातीय धरोहर, महत्वपूर्ण घटना, व्यक्तित्व, स्थान, शोध-परिशोध के साथ हुआ करता है | उक्त पृष्ठभूमि में महेश नवमी पर्व को सामूहिक शुभ-संकल्पो का पर्व माना जा सकता है | यदि इसे माहेश्वरी समाज का पर्वाधिराज कहा जाये तो उचित होगा |
माहेश्वरी समाज प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को अपना जात्योत्पत्ति पर्व ‘महेश नवमी’ पूर्ण आस्था और उत्साह के साथ मनाता है | आज के दिन ही 72 क्षत्रिय राजकुमार भगवान महेश एवं माता पार्वती की अनुकम्पा से शाप मुक्त हुए और उन्होंने क्षत्रिय धर्म त्याग कर वैश्य धर्म के पालन का सदसंकल्प लिया, वह भी सामूहिक रूप से | इस प्रकार भारत की जातीय संरचना में व्यवसाय का उद्देश्य रखने वाली एक नवीन जाति का प्रादुर्भाव हुआ, जो आज विश्व में ‘माहेश्वरी’ के नाम से सुविख्यात है | यह स्वयं सिद्ध है कि वैयतिक्त रूप से संकल्प का प्रतिपालन फिर भी सरल होता है | किन्तु सामूहिक रूप से संकल्प लेना और सदियों तक उसका निरंतर प्रतिपालन करना बहुत ही दुस्साध्य कार्य है किन्तु माहेश्वरी समाज को तो असंभव को संभव बनाने वाले समाज के रूप में ही जाना जाता है |
माहेश्वरी जाति के उदभव की घटना देखने-सुनने में भले ही साधारण घटना प्रतीत होती है, किन्तु वास्तव में यह एक असाधारण घटना है | इतिहास में जाति एवं धर्म परिवर्तन की अनेक घटनाएँ मिलती है, किन्तु यह घटना भारतीय वित्त और वाणिज्य की अभिवृद्धि का हेतु बनी | विपरीत परिस्थितियों और संक्रमलकाल में भी माहेश्वरी समाज ने लिए गए अपने संकल्प को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया | इस समाज ने अपनी योग्यता से भारत की समृद्धि के नवीन द्वार खोले | भारत के आर्थिक विकास में माहेश्वरी समाज का योगदान सर्वविदित है | समाज को अपनी उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए |
जाति उत्पत्ति के इस पावन पर्व पर आराध्य देव से प्रार्थना है कि वह हम सभी के संकल्पों को शक्तिवान बनाये रखें, जिससे देश एवं समाज का विकास रथ निर्बाध आगे बढ़ता रहे | महेश नवमी का पर्व माहेश्वरी समाज के लिए चिन्तन का एक महान पर्व भी है | हमें तेजी से बदलती हुई विश्व की शैक्षिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक व्यवस्थाओं और मान्याताओं के प्रति सतत चिन्तनशील रहना चाहिए तभी हम समाज के गौरव में वृद्धि करते हुए राष्ट्र एवं विश्व की समग्र प्रगति में अपना वास्तविक योगदान दे पायेंगे | सामूहिक आनन्दभाव के इस पर्व पर समस्त माहेश्वरी समाज एकता के सूत्र में आबद्ध होकर अपने आराध्य देव के श्री चरणों में अपनी कृतज्ञता के भाव अर्पित करते हुए एक दुसरे के सहयोग की स्वस्थ परम्परा को निरन्तर आगे बढ़ाने का कार्य करता रहेगा इसी विश्वास के साथ सभी को महेश नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं |